Thursday, 21 November 2019

गजल:273-भीगी जुल्फें

भीगी जुल्फें झटक के जो लहराई उसने।
दिले रेगिस्तां आबे-हयात* बरसाई उसने।।*अमृत
हर तरफ,हर गली,हर मोड़ चर्चे हैं उसके।
गजब खूबसूरत ये कायनात बनाई उसने।।
समंदर से जाकर मिलने को बेचैन है दरिया।
दिल में गहरे लगन ऐसी मीठी लगाई उसने।।
होगी हर रोज़ गुफ्तगू मीठी-मीठी अब तो।
बदल के लकीरें नई तकदीर रचाई उसने।।
"उस्ताद"आँखों में सुर्ख गुलाबी डोरे छा गए।
जबसे यकबयक* एक हंसीं झलक दिखाई उसने।।*एकाएक 
@नलिन#उस्ताद

No comments:

Post a Comment