Tuesday, 5 November 2019

268:गज़ल:आईना अपना तोड़ के आना

आईना अपना तोड़ के आना।
जब भी मिलने मुझसे आना।। 
झूठ न बोलें मेरी निगाहें।
सोच समझ के तू ये आना।।
अमन चैन से दुनिया को रंगने।
ख्याल तास्सुबी* छोड़ के आना।।*कट्टरता 
नामुमकिन सा कोई हर्फ* नहीं है।*शब्द 
सो बिछड़े ख्वाब संजोने आना।।
कदम-कदम में जोश भरा हो।
दिल को ये तू समझाते आना।।
"उस्ताद"वही है इस दुनिया का।
उसको करके बस सजदे आना।।
@नलिन#उस्ताद

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