Wednesday, 26 December 2018

गजल-65 झूठ बोलने का

झूठ बोलने का सलीका भी आना चाहिए।
गैर ना सही कभी खुद को बहलाना चाहिए।।

तुम रहो खलवत*या जलवत**जिस किसी हाल में।*तन्हाई में **भीड़ में
इनायत को जरा ना रब की भुलाना चाहिए।।

चंदन रगड़ से ज्यादा शोला बन जाएगा। बेसहारा,तंगदस्त* को ना सताना चाहिए।।*अभावग्रस्त

यहां आगे तो कोई जरा पीछे जाने वाला।
दुनियावी सदॆ रिश्तों को तो बस मिटाना चाहिए।।

काफी मुश्किल होते हैं हालात "उस्ताद" कभी।
फौलाद बन के मगर बेखौफ टकराना चाहिए।।

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