Tuesday, 25 December 2018

गजल-62 फूलों सा खिलकर

फूलों सा खिल कर जो बस खुशबू सा बिखर जाए।
मिलेंगे चाहने वाले चाहे वह जिधर जाए।।

सफर में होंगी तो तकलीफें चाहे कुछ भी करो।
पकड़ राह तू फिर चाहे इधर जाए या उधर जाए।।

चलो इस कदर खूबसूरती से जिंदगी के सफर में ।
पांव के निशान पर तेरे किसी की ना नजर  जाए।।

दुनिया है ये उसकी कटे पंख जो हौंसले भरे।
नहीं उसके लिए जो हर कदम पर ठिठक कर डर जाए।।

ना उधो से लेना और ना माधो का देना।
जनाब फिर भला कहो "उस्ताद" किसके घर जाए।।

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