Wednesday, 26 December 2018

गजल-64 भले दिखती है छोटी

भले दिखती है छोटी हमें ये जितनी जिंदगी।
दरअसल है ये मगर लाफानी* उतनी जिंदगी।।*अन्तहीन

पांच अनासिर* से है देखो ये बनी जिंदगी।*तत्व
खुदा के नूर से है सारी ये सनी ज़िंदगी।।

धागे में जैसे मोती के दाने पिरोये हों।
बहुत खूबसूरत है ये प्यारी अपनी जिंदगी।।

अलहदा*है बड़ी इसकी सिफत क्या कुछ बयां करिए।*विशिष्ट
मातम और मौजे-रौनक की है चाशनी जिंदगी।

होशियारी से तौबा"उस्ताद"अब तुम भी कर लो।
बड़े-बड़ों को पिलाती है पानी ठगनी जिंदगी।।

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