Saturday 8 December 2018

गजल-46 दिख गए चेहरे तो

दिख गए चेहरे तो दुआ-सलाम हो गई।
वरना तो कहां बातचीत आम हो गई।।

कनखियों से देख मसौदा बात का समझ लेना।
बीते जमाने की बात अब तो हराम हो गई।।

रंग हमारी नई पीढ़ी के अजब-गजब हैं देखिए।
दूध के दांत टूटे नहीं मुहब्बत तमाम हो गई।।

हर कोई अपने ही गुरूर में खुदा बन रहा। इज्जत यूं सबकी तार-तार नीलाम हो गई।।

किस से कहें "उस्ताद"दिल का हाल मुश्किल बड़ी।
सांसे भी हर शख्स की जब से गुलाम हो गई।।

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