Sunday, 9 December 2018

गजल-47 याद मेरी किसी को ना

याद मेरी किसी को ना सताया करे ।
आए तो बस खुदा का जिक्र आया करे।।

हम तो सभी हैं उसी खुदावंद की औलादें। माया मगर अपनी इस पहचान को भुलाया करे।।

आईना जो देखूं तो तुम ही दिखो मुझे। मोहब्बत का यही सुरूर बस छाया करे।।

हमारे बीच दरअसल फासला है ही कहां।
दिल से दिल जो एक दूजे का मिल जाया करे।।

लगती हैं "उस्ताद" बातें तुम्हारी अटपटी।
पर चलो एक बार इन्हें अमल तो लाया करें।।

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