Friday, 21 December 2018

गजल-58 प्यार बाहों में

प्यार बाहों में जकड़ने से नहीं आता।
बस सांसो में सांस भरने से नहीं आता।।

प्यार तो है बड़ी अलहदा सी शय।
यह इजहार करने से नहीं आता।।

दूर रहकर भी बरकरार रहता है प्यार।
यूं नजदीक पर कभी सटने से नहीं आता।।

आसमान की तरह खुला होता है यह तो।
कुएं के मेंढक सा उछलने से नहीं आता।।

समंदर की तरह शांत,गंभीर है यह।
मगर झरने सा मचलने से नहीं आता।।

"उस्ताद"डूबा है जिस राम के प्यार में।
वो ठौर और की पकड़ने से नहीं आता।।

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