Wednesday, 14 November 2018

गजल-27 बच्चा

दिल में हमारे बड़ा मासूम रहता है बच्चा।
जरा में रूठे और जरा में हंसता है बच्चा।।

दुनिया के पेंचोखम से नादान,अलहदा है।
तभी तो मस्त हो कुछ भी कर सकता है बच्चा।।

फूलों की तरह तितलियों के जज्बात समझता।
भरा सादगी से तभी तो महकता है बच्चा।।

सहने को सह सकता है हर मुश्किलों का दौर। बिना मां बाप के पर बड़ा तरसता है बच्चा।।

कभी तो है लगता पागल,सिरफिरे हैं हम ही । दुनियादारी को असल तो समझता है बच्चा।।

जमाना है बदल रहा मगर तेजी से अब तो।
कौड़ीयों के भाव सबको बेचता है बच्चा।।

छू लूं आसमां को या सोख लूं समंदर एक घूंट में।
"उस्ताद"का दिल तो ताउम्र सारी रहता है बच्चा।।

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