Monday, 12 November 2018

गजल- 22

जलवों का हर तरफ तेरे ही एक शोर है।
होती तेरे नाम से मेरी अब भोर है।।

उसके किस्सों की चर्चा कब तक करूं।
नशा तो उसका उतरा पोर-पोर है।।

बनो चाहे खलीफा कितने ही बड़े तुम।
उसके हाथों में रहती सब की डोर है।।

उठो,जागो,समझो अभी भी वक्त है।
बार-बार हमें कहता वो झकझोर है।।

नजरों से मिलाकर नजरें बात करता नहीं। लगता है कोई तो उसके दिल में चोर है।।

लाख समझाओ दो दुहाई ऊंच-नीच की।
चाह पर अपनी कहां चलता मगर जोर है।।

हमने तो उसे अब अपना "उस्ताद" बना लिया।
इनायतों का कहां उसकी बता ओर-छोर है।।

@नलिन #उस्ताद

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