Monday, 9 July 2018

घटा बाहर जाने क्यों नहीं बरस रही

घटा बाहर जाने क्यों नहीं बरस रही।
परवाह नहीं मगर भीतर जो बरस रही।।

घर से निकलो जब कभी मुस्कुरा के निकलो। पाओगे हर कदम कामयाबी बरस रही।।

मौसम के बदलते मिजाज से खौफ खाओ। फिर ना करना शिकायतें आफत बरस रही।।

शौहर को तो अब इसकी आदत हो गई।
बेगम जो बेफजूल उस पर बरस रही।।

मौज ले रहा "उस्ताद"राम झरोखे बैठ कर।
खुदा का बहुत शुक्रिया जो इनायत बरस रही।।

@नलिन #उस्ताद

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