Friday, 13 July 2018

वो जब मेरे गम में


वो जब मेरे गम में शामिल नहीं है।
खुशी में फिर उसकी जरूरत नहीं है।।

होगा वो लाटसाहब लोगों की नजर में।
जी-हजूरी मुझे तो रास आती नहीं है।।

देख लेता हूॅ जब सूरत सभी में उसकी।
मंदिर की मूरत मुझे तो जंचती नहीं है।।

होंगी जगह कई देश-दुनिया में एक से एक बढ़कर।
अपने वतन से बढ़के जगह कोई और लगती नहीं है।।

मिला तो खत हमको उसका लिखा हुआ पर।
उसमें कहीं इजहार-ए-मोहब्बत लिखा नहीं है।।

चलके आए हैं गांव,दूर से नेताजी वोट मांगने।
खिदमत इनकी कीजिए,यूॅ इनको ऐसी आदत नहीं है।।

हैं यूं तो पेंचोखम जिंदगी में कदम दर कदम।
बनाए रखना हौंसला,थक के हारना नहीं है।।

कमजोर,मजबूर का"उस्ताद"फायदा उठाना।
हमको आदत ये उसकी,लगती अच्छी नहीं है।।

@नलिन #उस्ताद

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