Monday 16 July 2018

प्यार का


आंखों में समंदर है उसके गहरा प्यार का। जाता है जहां लहराता है परचम प्यार का।।

मिलें हम सबसे गले दुश्मनी ये छोड़ कर।
बनाएं आशियाना दिल में हरेक प्यार का।।

कत्लोगारत अब पुराने दौर की बात बने।
बस एक नया ऐसा लिखें मुस्तकबिल प्यार का।।

तू भी वही,मैं भी वही,फिर झगड़ा किस बात का।
छोड़ो खटराग सारे,गीत गाओ प्यार का।।

है चार दिन की मियाद बस फिर भला कोहराम क्यों।
आओ"उस्ताद"मिल बैठ लुत्फ उठाएं इस प्यार का।।

@नलिन #उस्ताद

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