Monday, 30 July 2018

आखर-आखर

आखर*-आखर सब मोती हो गए।*शब्द
दिल से निकले तो सच्चे हो गए।।

देख जज्बा प्यार का सब के लिए।
हम तो बड़े मुरीद उनके हो गए।।

मंदिर-मस्जिद जाएं भला हम क्यों।
आईने में जब रूबरू हो गए।।

नजरों से हटा जब भेद तेरे-मेरे का।
फासले फिर अपने तो सारे दूर हो गए।।

हुआ उस गुलफाम* से जब इश्क हमारा। चर्चा में सारी दुनिया के हम हो गए ।।
*फूलों के समान रंग वाला

"उस्ताद"की आंख में दिखी दुनिया।
तब से हम उसके शागिदॆ हो गए।।

@नलिन #उस्ताद

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