Tuesday, 5 December 2017

मुबारक है जिन्दगी

जो है,जैसी भी है,मुबारक है जिंदगी।
बदलेगी एक रोज ये उम्मीद है जिंदगी।।

घर से बहुत दूर चला आया मुसाफिर।
याद तो आयेगी जो बीती है जिंदगी।।

कमाने की चाह में बहुत कुछ खो दिया। समझ में आई नहीं ये हाल है जिंदगी।।

हर रात गुजर जाती यूं ही करवट बदलने में। सेतने को ख्वाब मगर कहां सुकूं है जिंदगी।।

साथ वक्त के बदलता ये अजूबा जरा देखिए।
बच्चा बूढा और बूढे को बच्चा बना रही है जिन्दगी।।

"उस्ताद" से सीख लो कुछ इस फन की बारीकी।
पारे सी तुम्हें जो हथेली संजोनी है जिंदगी।।

@नलिन #उस्ताद

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