Saturday, 2 December 2017

गजल-91 हर उस्ताद का एक उस्ताद होता है

चांद के रुखसार पर दाग होता है।
लबों पर उनके हमारा नाम होता है।।

मोहब्बत का सितम यह अजब देखिए।
फूलों के सिर कांटों का ताज होता है।।

फख्र खुद पर कभी करने की आदत डालिए।
घूरे का भी तो हुजूर एक दिन होता है।।

जब-जब बहारों का साथ मिला चमन को।
सूखे दरख्तों का भी रंग हरा होता है।।

उनकी निगाहें मय का असर जब हुआ।
वक्त को भी कहाॅ भला होश होता है।।

दुनिया का बड़ा सबसे अजूबा ये देखिए।
हर"उस्ताद"का यहां एक"उस्ताद"होता है।।

@नलिन #उस्ताद

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