Saturday, 1 August 2015

334 -राम रटन कर ले मनवा



राम रटन कर ले मनवा 
राम रटन कर ले। 
जीवन घट जाने कब रीते 
राम सुधा रस पी ले। 
साँझ सकारे,भोर,मध्य में 
सुधि राम की ले ले। 
खाते-पीते,हँसते-रोते 
ह्रदय ओट तू कर ले। 
जैसा मन भाव बसे बस 
राम रूप तू लखि ले। 
कुछ न सोच पागल मनवा 
राम-राम बस कर ले। 
उलटे-सीधे,मन-बेमन से
राम चरण रति को जी ले। 
दग्ध-तिक्त जीवन विष के बदले 
राम नाम पर मर ले। 
राम रटन कर ले मनवा 
राम रटन कर ले। 

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