Wednesday 29 July 2015

333 - दो नावों में पैर से अब तो भला तौबा करो



हौसले से डटे रहो या नसीब पे यकीं करो
दो नावों में पैर से अब तो भला तौबा करो।

ये कौन हैं शान में पढ़ रहे कसीदे उनके जी भर
भूखे-प्यासे मर रहे,कुछ उनका भी जिक्र करो।

हर तरफ हादसों का दौर कुछ ऐसा चल रहा
खुद पर यकीं  भी भला अब कब तक करो।

बहुत दूर निकल आये सुकून की तलाश में हम सभी
"उस्ताद" रास्ते पहचान कर अब तो कदम चला करो।


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