Monday 27 July 2015

331 - राम - अब तो सुन लो पुकार



 राम - अब तो सुन लो पुकार 
मुझको लो तुम उबार। 
मंझधार में फँसी नौका 
मिले कहाँ कोई खेवैया। 
सब आस अब तुम पर टिकी है 
साँस की हर लय तुमसे जुडी है। 
गज की पुकार पर 
कहाँ देखे अपने पाँव के छाले। 
बाल प्रह्लाद के लिए भी 
नरसिंह अवतार लिए। 
निमिष भर में तुमने प्रभु 
भक्त के सब कष्ट हरे। 
ऐसे ही मेरे लिए भी
कुछ तो तुम उपकार करो। 
अपनी कृपा का जरा शीश पर 
वरदहस्त धरते चलो। 
मैं अनाथ,तुम नाथ बनो 
मृगतृष्णा भरे पावौं को 
शीतल,सघन नेह भरा 
अमृत-विश्राम दो।  
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