Monday, 20 July 2015

326- तेरा गम - मेरा गम

तेरा गम मुझसे कहाँ छुपा है, मेरा दर्द तुझसे भला कहाँ
रास्ता एक ही अपने सफर का,जाने अपनी मंजिल कहाँ।

बस चलते ही चले जाना,मील के पत्थर नहीं जहाँ
ये तो तू भी जान रहा,नसीब में अपने उजाला कहाँ।

हर दिन,हर घड़ी एक आह सी,भरती रहती अपनी सांस 
मुस्कुराना भूल गया तू तो यारा,मुझको आता भला कहाँ।

झूठ,बेईमानी,मतलबपरस्त,ढलती जा रही ये दुनिया
पाक ईमान मिज़ाज लिए,मिलता भला "उस्ताद" कहाँ। 

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