Thursday 5 March 2015

325 - को खेले ऐसी होली ,जा में हवा चले बर्फीली {हास्य-व्यंग}







को खेले ऐसी होली ,जा में हवा चले बर्फीली।  
करंट है मारे ठंडा पानी ,खेले डरूं होली गीली।।
को खेले ऐसी होली ,जा में हवा चले बर्फीली। 
रंग गुलाल कहाँ से लाऊँ ,जेब है मेरी ढीली।।
को खेले ऐसी होली ,जा में हवा चले बर्फीली।
गुझिया खिलाऊँ ,काहू से सबको ,खोया मिले है नकली।। 
को खेले ऐसी होली ,जा में हवा चले बर्फीली।  
गले लगाऊं राधा कैसे ,स्वाइन फ्लू हर गली।।
को खेले ऐसी होली ,जा में हवा चले बर्फीली।  
यदि खेलन चाहो देवर-भौजी,जीजा-साली 
जोरू मैं हाथ फेसबुक,ऐप खेलो बस होली।।

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