Tuesday, 3 March 2015

323 - गिरगिट भी हैरत में क्या चीज़ हैं आप।

रंग बदलते हैं जिस तरह जिंदगी में आप
गिरगिट भी हैरत में क्या चीज़ हैं आप।
एक पल भी आगे का जब नहीं ठिकाना आज
वादे जन्नत के मगर खूब दिखा रहे हैं आप।
दाने-दाने को मोहताज बना रहे जो आज
वही मसीहा खुद को  बता रहे हैं आप।
कागज़ के जो फूल लिए गाते राग बहार
रंगे सियार से वो ही हू आ करते आप।
झूठ-मक्कारी फ़िज़ा में घुली-मिली है आज
"उस्ताद" वही जो आईना दिखा सके है आप। 

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