Thursday, 7 August 2014

कार्टूनिस्ट प्राण को श्रद्धा सुमन


भारतीय संस्कृति को घुट्टी बना कर
खूब पिलाया आपने नौनिहाल को। 

क्या खूब रचा अदभुत किरदार 
प्राण साहब,चाचा चौधरी को। 

और भला कहाँ सीमित बच्चों तक 
मन भाया हर किरदार,हर उम्र को। 

बचपन में हमारे "प्राण"निहारते 
पिंकी,साबू,बिल्लू से किरदार को। 

गर्मियों की छुट्टियां तो रहती समर्पित 
बस एकमात्र इन ढेर सी कॉमिक्स को। 

कभी दोस्त से बचा खटिया के नीचे,फर्श पर 
तो पढ़ते कभी साथ,बंद कर स्टोर रूम को।   

वो यादें,वो चित्र सारे हमारे बालपन के 
करते हैं सजदा "प्राण"से "उस्ताद"को।



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