Sunday 17 August 2014

ग़ज़ल-99फकीर के पास

फकीर के पास है क्या तेरा दिल बहलाने को।
प्यार,मेहरबानी के सिवा कुछ भी लुटाने को।।

जो आता है चला जाता है छोड़ के यूँ ही सरेआम।
कोई भी कब तलक बढे किसी का हाथ थाम निभाने को।

मिलती हैं राहों में हरेक को बुलंदी या कि गर्दिशें।सो लिखा लकीर का है भला जज्बा किस में मिटाने को।

वक्त से सबक लेते हम अगर तो बात अलग होती।
चिकने घड़ों को मिलेगा "उस्ताद" कौन सिखाने को।। 

@नलिन #उस्ताद

1 comment:

  1. वक़्त से पहले मिलेगा वक़्त के हमराह चलो ! वक़्त हमारे हर कर्म का बदला लेता है इसीलिए हर किसी को वक़्त से डरना चाहिए.

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