Saturday, 23 August 2014

200 - श्री सीता राम



तेरे नाम के साथ जुड़ जाए मेरा नाम
यही कामना का दो मुझको वरदान।
हर तरफ जहाँ हो तेरा गुणगान
वहीँ रहूँ मैं,वो ही हो मेरा घर बार।
चलूँ अगर कभी तो बस उसी तरफ
जिस तरफ सजा हो तेरा दरबार।
सुबह-शाम शीश झुके नित बारम्बार
मेरे प्यारे,युगल चरण श्री सीता राम। 

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