Friday, 22 August 2014

ग़ज़ल -33

अपनी किस्मत नहीं साथ देती दिखे 
वो तो जब भी मिले रूठे-रूठे दिखे।  

प्यार की बात उनसे हम कह न सके
वो तो गैरों से ही दिल लगाते दिखे।  

दिल में दस्तक हुई पर कहाँ वो मिले 
यूँ गली से आते-जाते,अक्सर दिखे।

प्यार में ख्वाब हमको बहुत हैं दिखे
पर हकीकत ये उनको कैसे दिखे।

प्यार की बात "उस्ताद" हम कैसे करें 
हर कोई यहाँ तो,खुद में गुम सा दिखे। 

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