Thursday, 31 July 2014

जय-जय वृक्ष देव








जय-जय वृक्ष देव हम तुमको                          
शत-शत नमन हैं करते।
जीवन पथ को मानव के तुम
धन-वैभव से हो भर देते।
मानसून को समय से लाकर
जीवन-जल हमें दिलाते।
सूखे-बाढ़ की विपदाओं से
तुम ही तो हो लाज बचाते।
अनगिन जड़ी-बूटी उपजा करके
रोग-व्याधि को तुरत भगाते। 
पशुओं को खाना हो देते
पक्षी भी भूखे न रहते।
साँझ-सवेरे तभी तो तुमपे
कितने मधुर खेल वे करते।
तुम से ही हम ईंधन पाते
हो रोशनी,घर स्वर्ग बनाते।
इतने काम के तुम हो हमारे
फिर भी न जरा इतराते।
सदा नम्र तुम,बने हो रहते
फल से लदकर खुद ही झुकते।
जाने कितने जन्मों से तुम
मानव सेवार्थ जीवन रहे बिताते। 

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