Monday, 14 July 2014

राम मेरे तो हो न ?

राम मेरे तो हो न ?                                                      
वैसे होगे तो होगे ही
जब तुम सबके ही हो।
पर सबके जैसे हो
उस जैसे मेरे होगे तो
मेरा भला क्या होगा !
मैं तो हूँ क्योंकि मूढ़ बड़ा।
उस पर भी सदा सर्वदा
काम क्रोध,मद मोह में लिप्त पड़ा।
तो सिर्फ कहने भर को मेरे
होने से न काम बनेगा।
मेरे लिए तो तुमको हर पल
अंगरक्षक बन रहना होगा।
वैसे भी तो लाड़-दुलार तुम्हारा
मुझे बहुत बिगाड़ चुका है।
रोज मलाई-भात,हाथ तुम्हारे
खाते रहने से डीठ हुआ है।
अब तो एक छन भी अवकाश
नहीं तुम्हारा भाता है।
सो रहना तो होगा ही तुमको
हर-पल,हर-छन साथ मेरे।
मेरी हर चाह को पूरा करने
अलादीन के चिराग के जैसे।
वार्ना मैं कहाँ दो कदम चल पाउँगा
जरा सी दूरी में थक कर गिर जाऊँगा।
फिर मुझको रोता देख भला
कहाँ तुम्हें चैन जरा भी आयेगा।
मेरी खातिर तुमको बार-बार
नंगे पाँव,दौड़-दौड़ कर आना होगा।


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