Sunday, 27 July 2014

लघुकथा -15

एक से बढ़कर एक 

गप्पी जी उन सज्जन को बता रहे थे कि वो यूनिवर्सिटी में लेक्चरार हैं जबकि थे वो वहां बड़े-बाबू। इत्तफाक से उन सज्जन को पहले से पता लग चूका था कि असल में गप्पी जी हैं किस खेत की मूली इसलिए बड़ी मासूमियत से हमदर्दी जताते हुए वो सज्जन बोले अरे भाई वीरेंद्र जी मैंने तो सुना था आप यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं ये आपका डिमोशन कब और क्यों हो गया।





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