Tuesday, 22 July 2014

लघुकथा -14

जीत का मीनिया 

वो उसके घर गया। कैरम शुरू हुआ। वो कहने लगा कि अब तुम मुझसे जीत नहीं सकते हो। मैंने आजकल खूब प्रैक्टिस  की है। खैर !खेल शुरू हुआ। जल्दी ही अपनी गोटियों को सीधे-सीधे फंसते हुए देख उसने कहा,यार,यह क्या कर रहे हो? क्या यही प्रैक्टिस की है तुमने इतने दिनों से ?हाथ में स्ट्राइकर ले कर आँखे गोल-गोल घूमते बड़े अंदाज में वह बोला,अब तो दोस्त मैंने न हारने की कसम खा ली है। 



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