Saturday 28 June 2014

एक सवाल

अंततः मैं तुमसे
एक ही सवाल पुछूंगा
कि ये क्या हो रहा है ?
क्यों मेरे दिल-दिमाग
निकाल कर तुम लोग
लगा देना चाहते हो
नया दिल-नया दिमाग
जो सोचना नहीं जानता
जो समझाना नहीं चाहता।
जिसका एक लक्ष्य है
पैसा सिर्फ पैसा।                                              
आखिर क्यों जरूरी है
चीड़फाड़,प्रयोग
मेरे अपने शरीर पर।
तुमको अधिकार क्या है?
मेरी पटरी को चुपचाप
दूसरी पटरी से मिला देने का।
जिससे मैं पहुँच जाऊं
उस अनजान मंजिल पर
जिसका मुझे कुछ पता नहीं
जवाब दो-
मूक क्यों बने हो
मुझे जवाब चाहिए।
जब तुम मेरे दिल की
धड़कनों की बेल को
और उस पर गिरते
मस्तिष्क के झरने को
मिलाने में सहायक नहीं
तो फिर तुम्हारे हाथ से
यह कुल्हाड़ी भी क्यों न
दस हाथ दूर रहे। 

No comments:

Post a Comment