Friday 27 June 2014

गॉव

आग निकलती है शहरों से
चलो चलें अब गॉव में
लेकिन पगले रहे कहाँ अब                                  
गॉव हमारे भारत में।

गॉव हैं अब जल रहे
शहरों के दावानल में
आँखें फिर रहें खुली कैसे
धुआं उड़ाती व्यस्तता में।

उस पर यूं हीअगर रहे
हालात आने वाले सालों में
जलते-भुनते रह जायेंगे
हम अपने ही भारत में।





तो आओ अमृत-स्नेह बरसायें
बचे-कराहते, अपने इन गॉवों में
पीढ़ियां देख सकें यहाँ जिससे
छवि प्राचीन-सभ्यता की भारत में। 

1 comment:

  1. Very nice Nalin ji. You have brought out the importance of villages in a country and how they should not be ignored well. Villages truly reflect the culture of a country best and should be preserved, not over-run by commercialisation.

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