Saturday, 21 June 2014

तू बांसुरी जरा 






तू बांसुरी जरा, आज बजा तो साँवरे
बांस की नहीं, ये शुष्क दिल की मेरे।

राधा की छोड़ भी,अब नाराजगी साँवरे
अधूरे हैं मेरे भी, कई सपने -सलोने।

मीरा की तान तो उम्र भर सुनी साँवरे
हलाहल  पिए देख, मैंने भी कितने।

शरारत सताने की अब छोड़ साँवरे
प्यार के बोल को तरसता हूँ तेरे।

बहुत किस्से सुने हैं हर महफिल में तेरे
एक  हिस्सा मुझे भी तू उसका बना ले।

रास-रंग तो गोपियों से खूब करता फिरे
कभी इधर तू मुझसे भी नजरें मिला ले। 

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