Thursday, 19 October 2023

श्री बांके बिहारी लीला

ॐ ○□बांके बिहारी लीला□○ॐ
卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐

अधरों से श्याम के लगी बाँसुरी राधा ने आज छीन ली।  लगा अपने होठों से फिर उसमें राग अनूठे बजाने लगी।हतप्रभ कृष्ण कुछ क्षण तो समझ ही ना पाए ये पहेली।
मगर प्रभु तो ठहरे नटवरलाल बचपन से महा के छली।
सो तुरंत उन्होंने रूपांतरित कर छवि राधा की बना ली।
और बन गए वो तो राधा रूप धारण करके प्राकृत स्त्री।
सो अब थी हमारी राधारानी के विस्मित होने की बारी।
मगर कहाँ वो हार मानती कृष्ण की प्रियाजी जो ठहरी। झटपट अतः वो भी बन गईं अपने कृष्ण की प्रतिमूर्ति। 
अब निहार दोनों ही एक दूजे की मस्ती भरी ठिठोली। हंसते-खिलखिलाते आलिंगन में देह परस्पर भर ली।
ये देख हाथों से फिसल स्वर-मृदुल बजाने लगी बांसुरी।
सृष्टि भी पोर-पोर खुलकर संगत अप्रतिम देने लगी।
देख अलबेली ऐसी झांकी रोम रोम खिली नलिन कली। राधा कृष्ण के मध्य सत्य में कहां तनिक भी है भेद दृष्टि।
एक प्राण ने तभी हरिदासजी दिखाई छवि बांके बिहारी।।

नलिनतारकेश

2 comments:

  1. बहुत सुंदर
    जय श्री राधे श्याम

    ReplyDelete
  2. Jai shree radhe Jai shree Krishna

    ReplyDelete