Friday, 13 October 2023

607: ग़ज़ल: ये भी चाहिए

ये तो चाहिए ही हमें और वो भी चाहिए।
इस दुनिया के रंग सभी सतरंगी चाहिए।।

तलब बाकी ना रह जाए कोई भी अपनी।
खुद से दुआ तो सबको बस यही चाहिए।।

वजूद अपना बरकरार रहे कयामत तक।
हर हाल में यही नुस्खा ए जिंदगी चाहिए।।

कवायद खुदा कसम बस है इसलिए सारी।
झोली हमें अपनी ही सबसे भारी चाहिए।।

खुशी की तलाश में कब से कबाड़ बटोर रहे।
"उस्ताद" समझ इतनी हमें तो होनी चाहिए।।

नलिनतारकेश@उस्ताद

No comments:

Post a Comment