Wednesday, 11 October 2023

605: ग़ज़ल: खुदा का नाम

लो आज का दिन भी अपना ज़ाया हो गया।
जुबां को नाम लेना खुदा का तौबा हो गया।।

उम्र बढ़ रही जैसे-जैसे सांसे घटने लगी हैं।
कर्जा ए जिंदगी इस कदर ज्यादा हो गया।।

वो आए नहीं हों चाहे अन्जुमन में अब तलक। 
खबर सुनकर दिल खुशगवार अपना हो गया।।

चाय की प्याली तूफान है आ गया लगता कोई।
वर्ना क्या बात हुई जो आज वो बेवफ़ा हो गया।।

अपने दिलदार से जाने किस मोड़ मुलाकात हो।
जिस्म में "उस्ताद" तभी स़जायाफ़्ता हो गया।।

नलिनतारकेश@उस्ताद

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