Wednesday, 14 June 2023

ललिता कला वीथिका@पंकज आर्ट्स #####################सौजन्य से रचित।

ललिता कला वीथिका@पंकज आर्ट्स 
#####################सौजन्य से रचित। 

साहित्य,संगीत,चित्रकला आदि की सात्विक आराधना।
दुष्कर,दुरूह अत्यंत किंतु,यही तो है अनमोल साधना।।
हर घड़ी,हर पल,अविराम पड़ता है,स्वयं को हमें तराशना।
तब कहीं जाकर साकार होती,इसकी सिद्धप्रद स्थापना।।
शिव-डमरू से निर्झर हुई थी जैसे,भावों की अभिव्यंजना।
वैसे ही शारदे वीणा झंकार ने,हमको सिखाया अलापना।। प्रकृति इंद्रधनुषी छटा से हुआ संभव कला का लहलहाना
चेतना में जिसे पाकर जगत उपजी हर दिशा सद्भावना।। 
वस्तुतः प्रश्रय में कला के ही हम धन्य करते जीवन जन्मना।
उर हमारे निर्मल-नलिन प्रस्फुटन की बढ़ती तभी संभावना।।

नलिनतारकेश

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