Saturday 10 June 2023

हों प्यार की बातें

हों प्यार की बातें,और नहीं हों जगजाहिर,ऐसा कैसे होगा।
फूल खिलें गुलशन में,और महके न जग,ऐसा कैसे होगा।।

रात की छोड़ो,दिन में भी तब तो ख्वाब सुनहरे,दिखते हैं। फिर हर आहट,दिल न धड़के जोर-जोर,ऐसा कैसे होगा।।

सांझ-सवेरे,अपने को तो हर दिन लगते,सारे एक जैसे ही।
लगन लगी हो इश्क की सच्ची,तब न कह,ऐसा कैसे होगा।।

जेठ की धूप सिर पर रहे,और पांवों के नीचे अपने अंगारे हों।
जो बहे नहीं फिर भी अंतर प्रीत का झरना ऐसा कैसे होगा।।

कोलाहल जग का यह सारा थक-हार कहीं पर जा दुबकेगा।
नयन-द्वीप पे देख,रस-अठखेली ऐसा न हो,ऐसा कैसे होगा।।

नलिनतारकेश

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