Thursday, 1 June 2023

सांवरे के रंग में

सांवरे के रंग में अपने बावली जब से हो गई। 
प्रीत जन्मों की पुरानी अपनी वो याद आ गई।।

सरताज है वो तो अलबेला इस सारे जहाँ का।
मैं उसकी रही हूँ सदा से वो बात याद आ गई।।

शायद हो गई थी उससे किसी बात पर अनबन।
चलो कम से कम आज गलती वो याद आ गई।।

अब तो रोज रास-रंग होगा धाम में संग-साथ उसके।
झूम-झूम गाने की पुरानी नोकझोंक वो याद आ गई।।

"नलिन" नैनों में सपनो की चढ़ी जो इंद्रधनुषी चटख बेल।
 खुमारी जो उतरती नहीं लो हकीकत में वो याद आ गई।।

नलिन@तारकेश

No comments:

Post a Comment