Sunday, 31 July 2022

438:गजल

बड़ी देर में वो हैं तशरीफ लाए जनाब।
मगर चलो इत्मीनान से पधारे जनाब।।

एक लंबे दौर से पथरा गई थी आंखें। 
बन के खुशगवार मौसम छाए जनाब।।

कभी उमस कभी चिलचिलाती धूप सी तपन।
चारागर से आंखिर दर्द मिटाने आए जनाब।।

न आए थे तो भी ख्याल में तो हर समय थे।
हकीकत में डर है अब कहीं न जाएं जनाब।।

"उस्ताद" क्या कहे कितना लिखे शान में उनकी।
 नक्शे-पा हुजूर के हम बिना मोल बिक गए जनाब।।

नलिनतारकेश @उस्ताद

1 comment:

  1. अति सुन्दर अभिव्यक्ति नलिन भाई 🌹

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