Friday 29 July 2022

436: गजल

कश्ती में उसे लेकर डूबना चाहता था। 
नया एक जहां मैं बसाना चाहता था।।

मर कर भी हो क्यों हम एक-दूजे से जुदा।
अलहदा एक मोहब्बत करना चाहता था।।

उसमें मुझमें फर्क नहीं था रत्ती भर का।
दरअसल यही तो मैं जताना चाहता था।।

दूरियां ये दुश्मनी में तो आती नहीं यार कभी भी।
प्यार में ही क्यों होता है ऐसा जानना चाहता था।।

सारे जहां में बस रहे सदा अमन ओ चैन का रंग।
दिले धड़कन "उस्ताद" यही सुनाना चाहता था।।

नलिनतारकेश @उस्ताद

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