Thursday, 21 July 2022

432: गजल

हर तरफ जलवा ए यार ही दिखाई देता है।
सुबह ओ शाम चर्चा तेरा ही सुनाई देता है।।

मुंतज़िर* हूं तेरे फैसले का एक उम्र से।*प्रतीक्षारत 
तू टाल हर बार मेरी सुनवाई देता है।।

जो न शिद्दत से याद कर पाऊं कभी भूल से। 
याद दिलाने मुझे तू लगातार हिचकी देता है।।

नापाक,नालायक जैसा कुछ भी तो नहीं तेरी नजरों में।
जब चाहे,जैसे चाहे,उसपर रहमतों की झड़ी देता है।।

समझ में आते नहीं "उस्ताद" ये तेरे अजूबे कसम से। 
हां कभी खुद ही बेवजह खोल राज-ए-कलाई देता है।।

नलिनतारकेश @उस्ताद

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