Wednesday 15 September 2021

391: गजल- मौसम हुआ गुलाबी

मौसम हुआ गुलाबी तो ग़ज़ल ये लिखने लगा।
जो याद आई तुम्हारी तो सजदा मैं करने लगा।।

बादलों से बूंदे नाचती आकर मुझे जो छू रहीं।
हूं तुम्हारे बहुत पास अहसास सच होने लगा।।

परिंदों की चहचहाहट आँगन में कूकती है सुरमई।
लो तुम्हारी आवाज भी अब हर ओर मैं सुनने लगा।।

पत्ते हरे दरख़्त के अंगड़ाई ले जवां हो गए सारे।
खयाल में डूबा इस कदर कि तुम्हें ही देखने लगा।।

अब तो हवा भी मनचली हो साथ बहा ले जा रही मुझे। "उस्ताद" खुशबू से उसे पता तेरा शायद मिलने लगा।।

@नलिनतारकेश

1 comment:

  1. वाह उस्ताद वाह, आनंद आ गया।

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