Saturday 11 September 2021

388: गजल- अपना एक गांव बसा लीजिए

अपने भीतर एक गांव अपना बसा लीजिए। 
खुशहाल जिंदगी का मंजर यूँ सजा लीजिए।।

दौर बड़ा अजब अफरा-तफरी का है आया।
कश्ती किसी भी तरह अपनी बचा लीजिए।।

साजिन्दे साथ दें या ना दें ये उनकी मर्जी।
तरन्नुम में आप तो बस पूरा मजा लीजिए।।

गुलशन में हैं खिले गुल यूँ तो किसम-किसम के।
जो लगे कोई अजीज उसे अपना बना लीजिए।।

यूँ ही नहीं "उस्ताद" हर किसी को नसीहत बांटिए।
जरा तो होशोहवास खुद का भी लेखा-जोखा लीजिए।।

@नलिनतारकेश

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