Friday, 3 September 2021

382 :गजल - बैठो तो सही

किसको पता तैरता ये खत मेरा किधर जाएगा।
भटकेगा यूँ ही उम्र भर या हाथ चारागर* जाएगा।।*चिकित्सक 
उतना ही मुट्ठी भरो जितना संभाल सको तुम।
यूँ भी सब रेत है यहाँ कुछ देर बिखर जाएगा।।

पैसे तो कमा लिए मगर सुकून गवां बैठे लोग।
बटोरने वही अपने गाँव ये सारा शहर जाएगा।।

जो काबू कर सको दिल को अगर तुम अपने।
देखना जहां हांकोगे हमारा वहीं पैकर* जाएगा।।*जिस्म 

बैठे जो रह गए महज तकदीर के ही भरोसे हम।
मिला मौका बगैर तदबीर चुपचाप गुजर जाएगा।।

कुछ देर बैठो तो सही "उस्ताद" के आस्ताने में जरा।
कसम से देखना मिजाज फिर और भी निखर जाएगा।।

@नलिनतारकेश 

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