Monday, 26 July 2021

सावन सोमवार

शिव हैं एकमात्र परम-सत्य,परम-कल्याणप्रद,परम-सुंदर।
आदि-अंत है कहाँ आपका व्यापता सृष्टि दिगदिगंत पर।

कर्पूर-वर्ण,पारदर्शी,सहज-शुद्ध-चित्त,चिदानंद दिगंबर।
जटा-विशाल,कालातीत,महायोगी,त्रिलोकनाथ धुरंधर।। 

शमशान-भस्म लपेटे सर्वांग,गले नाग,मुंडमाल प्रलयंकर।
भूत,प्रेत,पिशाच गण सेवित,धरे रूप स्वयं का अभयंकर।

डमरू,त्रिशूल हाथ त्रिलोचन,सोहे भालचंद्र,गंगाधर।
ॠषभ विराजित नीलकंठ,शैलसुतापति अर्धनारीश्वर।।
 
द्वादश ज्योतिर्लिंगाधिपति,त्रयम्बक विकट महाकालेश्वर। आशुतोष तुम अवढरदानी,अद्भुत सकल ब्रह्मांड नटेश्वर।।

बेल,धतूरा,मंदार पुष्प अतिप्रिय प्रदोष तिथि तारकेश्वर।
"नलिन" हृदय विराजित बाल रूप छवि श्रीराम मनोहर।।

नलिनतारकेश

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