Saturday, 31 July 2021

369:गजल-गजल-वादा निभाना था

भरम में भी जी रहे थे तो भला क्यों तोड़ना था।
बेवफा हो ये क्या जरूरी बहुत हमें जताना था।।

किरचे-किरचे कर दिया तोड़ दिल तूने हमारा।
वजह बेवजह ही की सही कुछ तो बताना था।।

खता तो हुई होगी हमसे कहीं न कहीं हमने माना।
एहसास यारब हमें भी तो करीब आ दिलाना था।।

चौखट हमारी न आया न आने दिया हमें तूने अपनी।
मोहब्बत के रिश्ते का मान तो तुझे कुछ दिखाना था।।

पकड़ ही जो लिया था हाथ ता-उम्र के लिए मेरा।
बता भला बीच मंझधार क्यों मुझे छोड़ जाना था।।

कसीदे गढता रहा शान में कलम घिस-घिस के मैं।
राज तो अब खुला कि तू मुझे महज बहलाता था।।

चलो जो किया सो अच्छा किया होगा उस्ताद तूने।
वादा किया तो हमें अपना मगर हर हाल निभाना था।।

@नलिनतारकेश 

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