Friday, 2 July 2021

356: गजल-जूझना तो होगा

जन्नत देखने की खातिर यार मरना तो होगा।
पाने को अपनी मंजिल हमें जूझना तो होगा।।

हूरें मिलें न मिलें चाहे ख्वाबों में कभी।
रंग ख्वाबों में हर हाल भरना तो होगा।।

ये सफर कड़ी धूप भरा है जिंदगी का।
उम्मीदे दामन मगर थामना तो होगा।।

जाति,मजहब के जाल में छटपटाने से बेहतर।  
भरके इंसानियत हवा में साथ उड़ना तो होगा।।

खुला आकाश नीला है प्यारा देखो तो सही।
चश्मा आँखों से काला अब हटाना तो होगा।।

"उस्ताद" तुझमें मुझमें है भेद जरा सा भी नहीं।  
बस तहे-दिल बजता एकतारा सुनना तो होगा।।

@नलिनतारकेश

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