Thursday, 23 January 2020

315:गजल-दर्द हो गहरा



दर्द हो गहरा अगर तो मिलता खुदा है।
ये रिश्ता प्यार का अजब ही होता है।।
संभला रहे दिले सीप तो बने नायाब मोती। 
छलक जाए अगर तो बस खारा ही रहता है।।
दर्द हो हद से ज्यादा तो छलकेगा ही आंखिर।
पर छुपाने का इसे भी कुछ को हुनर आता है।।
काजल लगा के वो आंख का सैलाब छुपाते रहे।
टूटा अब बांध तो खुदा कसम जलजला बना है।।
वो मिलेगा दर्द से तो खुद को ही छलनी कर लिया।
"उस्ताद"जानता कहाँ दर्दे पैमाना उसका बड़ा है।।
@नलिन#उस्ताद

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