Wednesday, 8 January 2020

302:गजल-बांहों में भरे हम

आओ एक दूजे को बांहों में भरें हम। 
मासूम छोटे बच्चे से चलो बनें हम।। 
प्यार है शय,सरअंजाम*जो चाहती नहीं।*प्रतिफल  
पते की बात,आज ये गांठ बांध लें हम।। 
तरक्की की इबारत लिखने लीक से हटी।
रखके ईमान मुसलसल*दो कदम बढ़ें हम।।*लगातार
जो चाहते हैं हमें बाँटना बस मज़हबों में।
इरादे उनके नापाक अब तो समझें हम।।
हुकूक* की बातें भली चाहे पुरजोर करें रोज।*अधिकार 
फ़र्ज की फिक्र भी थोड़ी बहुत करते रहें हम।।
अपने भले की खातिर तो सब जूझ रहे यहाँ।
मिसाल नई खैरात की "उस्ताद" गढ़े हम।।
@नलिन #उस्ताद

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